राज्य ब्यूरो, लखनऊ | अमृत विचारः अब बिजली चोरी प्रकरण के बिल निर्धारण में वितरण खंड के अधिशासी अभियंता मनमानी नहीं कर पाएंगे। बिजली चोरी से संबंधित बिल संशोधित करने का अधिशासी अभियंताओं का अधिकार खत्म कर दिया गया है। अब दो लाख तक का बिल संशोधन निदेशक वित्त व निदेशक वाणिज्य करेंगे, जबकि दो लाख से ऊपर की धनराशि के बिल का संशोधन एमडी व निदेशक वित्त कर सकेंगे। उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन के प्रबंध निदेशक पंकज कुमार ने शनिवार को इस सिलसिले में सभी वितरण कंपनियों को निर्देश जारी किया।
बिल संशोधन में अधिशासी अभियंताओं का अधिकार खत्म कॉरपोरेशन ने सभी वितरण कंपनियों को जारी किए निर्देश
बिजली कंपनियों में बिजली चोरी से संबंधित बिल के निर्धारण में अधिशासी अभियंता कार्यालय स्तर पर लगातार भ्रष्टाचार की शिकायतें मिल रही थीं। बिल में कमी व बढ़ोतरी के जरिये उपभोक्ताओं का शोषण हो रहा था। पावर कॉरपोरेशन प्रबंधन ने इसे गंभीरता से लिया है। कॉरपोरेशन ने तत्काल प्रभाव से नई व्यवस्था लागू कर दी है। खास बात यह है कि अगर बिल संशोधन के दौरान अधिशासी अभियंता व कनिष्ठ अभियंताओं- कर्मचारियों की गड़बड़ी पाई गई, तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। कॉरपोरेशन ने अपने निर्देश ने ऐसे अभियंताओं के खिलाफ कार्रवाई का प्रस्ताव बनाने का भी निर्देश दिया है।
भ्रष्टाचार पर लगेगा अंकुश
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कॉरपोरेशन के फैसले का स्वागत करते हुए कहा वर्तमान में बिल संशोधन व बिजली चोरी के राजस्व निर्धारण के मामले में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हो रहा था। उन्होंने कहा कि कॉरपोरेशन के फैसले से दूरगामी परिणाम सामने आएगा।
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